अंबेडकर को फैशन बताने वालों को बहुजन समाज का करारा जवाब meghwanshilive द्वारा
संसद का मंच, जहां से संविधान की रक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, वहीं से गृहमंत्री अमित शाह का यह बयान आता है कि "आजकल कुछ लोगों का अंबेडकर-अंबेडकर बोलना फैशन हो गया है।" यह बयान न केवल डॉ. अंबेडकर का अपमान है, बल्कि उन करोड़ों दलित, वंचित और शोषित समाज का भी जिन्होंने बाबा साहब को अपने जीवन का आधार और प्रेरणा माना है।
अंबेडकर का नाम: धर्म, पहचान और क्रांति का प्रतीक
गृहमंत्री जी, डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि वह विचारधारा हैं जिसने भारत को जातिवाद की गहराई से निकालने का प्रयास किया। बाबा साहब ने संविधान बनाया, हमें समानता का अधिकार दिया और शोषित समाज को सम्मान का जीवन दिया। आज जब हम अंबेडकर का नाम लेते हैं, तो यह फैशन नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की आवाज है।
गृहमंत्री जी, शायद आप नहीं जानते कि अंबेडकर-अंबेडकर बोलना बहुजन समाज के लिए फैशन नहीं, बल्कि एक पेशेंन है। यह उस क्रांति की मशाल है जिसे बाबा साहब ने जलाया था। डॉ. अंबेडकर ने दलित, वंचित, शोषित और बहुजन समाज के लिए जो किया, वह केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि दिव्य है। वह हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। उन्हें याद करना हमारे जीवन का आधार है, क्योंकि उन्होंने हमें सम्मान, अधिकार और पहचान दी।
आप कहते हैं कि "अगर भगवान का नाम लिया होता तो सात जन्मों का स्वर्ग मिल जाता।" लेकिन गृहमंत्री जी, शायद आप नहीं जानते कि हमारे लिए बाबा साहब भगवान से बढ़कर हैं। उन्होंने हमें जीते जी स्वर्ग का अनुभव कराया। उनके विचारों ने हमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का मार्ग दिखाया।
आरएसएस-बीजेपी की दलित-विरोधी राजनीति
आरएसएस और बीजेपी का इतिहास बहुजन समाज के खिलाफ जहर उगलने का रहा है। जब भी बहुजन समाज ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, आरएसएस-बीजेपी ने हमेशा इसे कुचलने की कोशिश की। उनकी विचारधारा और बाबा साहब की विचारधारा में दिन-रात का अंतर है। बाबा साहब समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात करते हैं, जबकि आरएसएस-बीजेपी केवल विभाजन की राजनीति करती है।
आरएसएस और बीजेपी ने हमेशा बहुजन समाज को कमजोर करने का प्रयास किया है। उनकी विचारधारा जातिवाद, भेदभाव और दमन पर आधारित है। जब भी बहुजन समाज ने अपनी आवाज उठाई, उन्हें या तो दबाया गया या झूठे मुकदमों में फंसाया गया।
बीजेपी का दलित प्रेम केवल दिखावा है। चुनाव के समय वे दलितों के घर खाना खाने का नाटक करते हैं, लेकिन असल में उनकी नीतियां हमेशा बहुजन समाज को नुकसान पहुंचाने वाली रही हैं।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, आप संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आए हैं। लेकिन क्या आपने कभी संविधान को समझा है? आप जिस पार्टी और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह संविधान के मूल्यों के खिलाफ काम करती है।
आपने कभी आरक्षण खत्म करने की बात की, तो कभी दलितों के खिलाफ हिंसा को नजरअंदाज किया। आप केवल सत्ता के लिए बहुजन समाज को विभाजित करने का काम करते हैं। लेकिन याद रखें, अब यह समाज जाग चुका है।
कांग्रेस और बहुजन समाज
कांग्रेस और बहुजन समाज का रिश्ता हमेशा से जटिल रहा है। बहुजन समाज कांग्रेस से नाराज रहा है, क्योंकि उसने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न देने में काफी देरी की। यह नाराजगी जायज है, लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस ने हमेशा बहुजन समाज के अधिकारों और उत्थान के लिए काम किया है। कांग्रेस की नीतियां बहुजन समाज को सशक्त बनाने और उसके अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में रही हैं।
कांग्रेस ने आरक्षण लागू करने और दलितों-पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। यह पार्टी सामाजिक न्याय की लड़ाई में बहुजन समाज के साथ खड़ी रही है। हालांकि, समय-समय पर कांग्रेस ने बहुजन समाज की उम्मीदों पर खरा न उतरने की गलतियां भी की हैं, जिसका खामियाजा उसे सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा।
आज बहुजन समाज जागरूक हो चुका है। वह जानता है कि उसकी ताकत उसकी एकजुटता में है। यह भी सत्य है कि बहुजन समाज अब किसी भी पार्टी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा। वह अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ने को तैयार है। लेकिन यह भी साफ है कि बीजेपी और कांग्रेस में जमीन-आसमान का अंतर है।
बीजेपी की ब्राह्मणवादी विचारधारा और बहुजन विरोधी नीतियों ने हमेशा बहुजन समाज को कमजोर करने का काम किया है, जबकि कांग्रेस ने अपनी गलतियों के बावजूद बहुजन समाज के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं। बहुजन समाज अब यह समझ चुका है कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस एक बेहतर विकल्प है।
बहुजन समाज की एकता और जागरूकता कांग्रेस के लिए एक मजबूत आधार हो सकती है। अगर कांग्रेस ने बहुजन समाज के विश्वास को फिर से जीत लिया, तो वह सत्ता में वापसी कर सकती है। आज बहुजन समाज ने ठान लिया है कि वह बीजेपी को सत्ता से बाहर करेगा।
"बहुजन एकता जिंदाबाद। कांग्रेस फिर से सत्ता में आएगी।"
2 अप्रैल और भीमा कोरेगांव की याद
बहुजन समाज का गुस्सा अब अपनी चरम सीमा पर है। यह समाज 2 अप्रैल 2018 की तरह फिर से सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हो जाएगा भीमा कोरेगांव फिर से दोहरा देगा, अगर बहुजन समाज को दबाने की कोशिश की गई तो
गृहमंत्री जी, आपने कहा कि "अंबेडकर-अंबेडकर करने से भगवान के नाम का भी उतना स्मरण नहीं किया गया होगा।" लेकिन आपको समझना चाहिए कि बाबा साहब हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। उन्होंने हमें जीते जी स्वर्ग का एहसास कराया। उनके नाम का उच्चारण हमारे लिए पूजा है।
आपको यह भी समझना होगा कि बाबा साहब के विचार बहुजन समाज के दिलों में जिंदा हैं। आपकी तड़ीपार राजनीति इस समाज को दबा नहीं सकती। बहुजन समाज ने इतिहास में हर बार न्याय की लड़ाई लड़ी है और जीत दर्ज की है।
गृहमंत्री जी, आपको यह समझना होगा कि अंबेडकर-अंबेडकर करना फैशन नहीं, हमारी सांसों का हिस्सा है। बाबा साहब का नाम लेना हमारे अधिकारों का, हमारे अस्तित्व का, और हमारे धर्म का प्रतीक है।
आपकी तड़ीपार राजनीति बहुजन समाज को दबा नहीं सकती। यह समाज अब जाग चुका है और हर उस ताकत को खत्म कर देगा जो उसके अधिकारों को छीनने की कोशिश करेगी।
बीजेपी और आरएसएस को चुनौती
आरएसएस और बीजेपी को यह समझना होगा कि बहुजन समाज अब जागरूक है। यह समाज अब केवल वोट बैंक नहीं है। यह समाज अपनी शक्ति को पहचान चुका है और किसी भी पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंकने की ताकत रखता है।
आरएसएस और बीजेपी को यह समझ लेना चाहिए कि बहुजन समाज अब जागरूक हो चुका है। यह वह समाज नहीं रहा जिसे जातिवाद और धर्म के नाम पर बांटा जा सके। लंबे समय तक बहुजन समाज को केवल वोट बैंक के रूप में देखा गया, लेकिन अब वह अपनी राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक ताकत को समझ चुका है।
बहुजन समाज ने देखा है कि बीजेपी और आरएसएस ने हमेशा उसे कमजोर करने का काम किया है। आरएसएस की ब्राह्मणवादी विचारधारा और बीजेपी की बहुजन विरोधी नीतियों ने बार-बार यह साबित किया है कि ये दोनों संगठन सामाजिक न्याय और समानता के सबसे बड़े दुश्मन हैं। बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा को दबाने और बहुजन समाज को अपने अधिकारों से वंचित करने के लिए ये ताकतें लगातार षड्यंत्र रचती रही हैं।
बीजेपी के सत्ता में रहते हुए आरक्षण पर हमला हुआ, दलितों और पिछड़ों के खिलाफ अत्याचार बढ़े, और सामाजिक न्याय की प्रक्रिया को कमजोर किया गया। बहुजन समाज ने इन सभी चालों को पहचान लिया है। अब यह समाज वोट बैंक बनकर किसी पार्टी का मोहरा नहीं बनेगा। यह समाज जानता है कि अगर वह एकजुट हो जाए, तो किसी भी सत्ता को उखाड़ फेंकने की ताकत रखता है।
आज बहुजन समाज का हर व्यक्ति जागरूक है। उसने यह समझ लिया है कि उसकी ताकत उसके वोट में है। आरएसएस और बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति अब काम नहीं आएगी। बहुजन समाज ने यह ठान लिया है कि वह अपने हक और अधिकारों के लिए लड़ेगा।
बीजेपी और आरएसएस को चेतावनी है कि बहुजन समाज अब अपनी शक्ति का इस्तेमाल करेगा। अगर उन्होंने बहुजन समाज के खिलाफ अपनी चालें जारी रखीं, तो बहुजन समाज अपनी वोट की ताकत से उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकेगा। अब यह समाज केवल दर्शक नहीं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व करने वाला बन चुका है। यह समाज जानता है कि उसकी एकजुटता ही उसका सबसे बड़ा हथियार है, और इस हथियार से वह हर उस ताकत को हराएगा जो उसे कमजोर करने की कोशिश करेगी।
यह नया भारत है, जहां बहुजन समाज अपनी शक्ति और अधिकारों के साथ खड़ा है। यह समाज अब किसी के भी सामने झुकेगा नहीं, बल्कि अपने भविष्य की लड़ाई खुद लड़ेगा।
गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुजन समाज से माफी मांगनी चाहिए। अंबेडकर का अपमान बहुजन समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। इस बार बहुजन समाज ऐसा जवाब देगा, जो इतिहास में दर्ज होगा।
जय भीम जय संविधान
(संपादक: यशवंत मेघवाल, मेघवंशी लाइव)
यह लेख मेघवंशी लाइव की ओर से प्रकाशित किया गया है और इसका उद्देश्य बहुजन समाज के वर्तमान गुस्से और उनकी जागरूकता को सामने लाना है। इसमें व्यक्त विचार बहुजन समाज की भावनाओं और उनके अधिकारों के प्रति उनके संघर्ष को दर्शाते हैं।
लेख में कही गई बातें समाज के गहरे मुद्दों और राजनीतिक परिस्थितियों पर आधारित हैं। हमारा उद्देश्य किसी पार्टी, व्यक्ति, या संगठन को बदनाम करना नहीं है, बल्कि बहुजन समाज की आवाज को उचित मंच देना है।
यह लेख यशवंत मेघवाल द्वारा लिखा गया है, जो मेघवंशी लाइव के संस्थापक हैं। यह वेबसाइट हमेशा से बहुजन समाज के मुद्दों को उजागर करने और निष्पक्षता के साथ सच्चाई को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध रही है।
यदि इस लेख के किसी हिस्से से किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो यह अनजाने में हुआ है। हमारा उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत समाज के मुद्दों पर प्रकाश डालना है।
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