झामुमो ने भाजपा पर आदिम जनजातियों की अनदेखी का लगाया आरोप, कांग्रेस की नीतियों को बताया आदिवासी हितैषी
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा पर आदिम जनजातियों के मुद्दे पर राजनीति करने और वास्तविकता से अनभिज्ञ होने का आरोप लगाया है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा आदिवासी और आदिम जनजातियों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय उन्हें राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही है। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा ईमानदारी से आदिवासी और आदिम जनजातियों के कल्याण के लिए काम कर रही होती, तो भाजपा शासित राज्यों—मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में आदिम जनजातियों की हालत इतनी खराब नहीं होती।
कांग्रेस की नीतियों को बताया आदिवासी हितैषी
भट्टाचार्य ने इस मौके पर कांग्रेस की नीतियों और योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से आदिवासियों और आदिम जनजातियों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध रही है। 2006 में लागू किया गया वन अधिकार अधिनियम कांग्रेस की केंद्र सरकार की देन है, जिसने आदिवासी समुदायों को उनके वनों पर स्वामित्व का अधिकार दिया। इसके अलावा, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी योजनाएं आदिवासियों और ग्रामीण समुदायों के लिए मील का पत्थर साबित हुईं।
उन्होंने कहा कि जब झारखंड में कांग्रेस और झामुमो की सरकार रही, तब राज्य में आदिवासियों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार ने इस विरासत को आगे बढ़ाया है।
भाजपा की कथनी और करनी में फर्क
भट्टाचार्य ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड में धर्म के नाम पर भ्रम फैलाने आए थे। लेकिन असम के चाय बगानों में काम करने वाले झारखंडी आदिवासी अभी भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या बाबूलाल मरांडी या भाजपा ने कभी इन चाय बगान मजदूरों के हक के लिए आवाज उठाई है?
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास सिर्फ खोखले वादे हैं। असम, मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आदिवासी समुदायों की बदहाली इस बात का प्रमाण है।
हेमंत सरकार और कांग्रेस के संयुक्त प्रयासों से विकास को बढ़ावा
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार ने आदिवासी और आदिम जनजातियों के उत्थान के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, "हमने ‘पहाड़िया’ जनजाति के लोगों को सरकारी सेवा में सीधी नियुक्ति का प्रावधान दिया है। इसके अलावा, झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कई नई योजनाएं लागू की गई हैं।"
उन्होंने कांग्रेस के सहयोग से चलाई जा रही राज्य सरकार की योजनाओं की तारीफ करते हुए बताया कि झारखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत 11 दिसंबर को लाखों महिलाओं के बैंक खातों में 2,500 रुपये भेजे जाएंगे।
आदिवासी सीटों पर झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की मजबूत पकड़
भट्टाचार्य ने हालिया चुनाव परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा, "हमने आदिवासी बहुल 28 सीटों में से 27 पर जीत दर्ज की है। इससे साबित होता है कि आदिवासी समुदाय भाजपा की नीतियों को खारिज कर चुका है।"
कांग्रेस और झामुमो की साझेदारी से आदिवासियों को मिल रही ताकत
झामुमो ने कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन को राज्य में विकास और सामाजिक न्याय के लिए सबसे बेहतर विकल्प बताया। भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस की केंद्र सरकारों ने ऐतिहासिक तौर पर आदिवासियों के लिए आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया। झारखंड में भी झामुमो-कांग्रेस सरकार ने शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता दी है।
राजनीति से ऊपर उठने की अपील
प्रवक्ता ने भाजपा नेताओं को राजनीति से ऊपर उठकर आदिवासियों के मुद्दों पर काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की बजाय सभी दलों को एकजुट होकर झारखंड के विकास में योगदान देना चाहिए।
झामुमो के इस बयान से राज्य में राजनीतिक माहौल और गर्म होने की संभावना है। वहीं, झारखंड की जनता इस बात पर नजर रखेगी कि कौन सा दल उनके मुद्दों को लेकर गंभीरता से काम करता है।
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