नाथद्वारा: जब सीपी जोशी के समय विकास था प्राथमिकता, अब योजनाएं बनी हैं सिर्फ फाइलों का हिस्सा

 राजसमंद में विकास कार्यों की तस्वीर: भीम और राजसमंद सबसे आगे, नाथद्वारा और कुंभलगढ़ का हाल बेहाल

राजस्थान सरकार के एक साल पूरे होने के बाद, राजसमंद जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की स्थिति का जायजा लिया गया। रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जहां भीम, राजसमंद और देवगढ़ ने करोड़ों रुपये की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में सफलता पाई, वहीं नाथद्वारा और कुंभलगढ़ जैसे क्षेत्र विकास की दौड़ में पिछड़ गए।


नाथद्वारा, जो एक समय डॉ. सीपी जोशी के नेतृत्व में पूरे प्रदेश का केंद्र हुआ करता था, आज विकास के नाम पर शून्य की स्थिति में पहुंच गया है। वर्तमान विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के नेतृत्व में नाथद्वारा में एक भी विकास कार्य को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली। यह जनता और सरकार, दोनों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।


राजसमंद जिले में विकास कार्यों का विवरण


भीम: विकास में सबसे आगे

भीम क्षेत्र के विधायक हरीश चंद्र मीणा ने अपने क्षेत्र के लिए 69 कार्यों की स्वीकृति दिलाई, जिसमें कुल 4.94 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इनमें सड़क, पेयजल और स्कूलों से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं।

हरीश मीणा की सक्रियता और प्रशासनिक कौशल ने भीम को जिले में विकास का अग्रदूत बना दिया है।


राजसमंद: हर क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन

विधायक दीप्ति महेश्वरी ने 90 कार्यों की वित्तीय स्वीकृति हासिल की, जिनके लिए 5.3 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। राजसमंद ने न केवल अपने क्षेत्रीय मुद्दों का हल निकाला, बल्कि जिले में सबसे ज्यादा कार्य स्वीकृत करवाने में भी प्रमुख भूमिका निभाई।


देवगढ़: पीछे नहीं रहा

देवगढ़ क्षेत्र के विधायक रामसिंह राठौड़ ने 54 कार्यों के लिए 3.89 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त की। इनमें से 53 कार्यों को प्रशासनिक मंजूरी मिल चुकी है।


नाथद्वारा और कुंभलगढ़: विकास में पिछड़े

नाथद्वारा, जहां से 119 कार्यों का प्रस्ताव दिया गया था, वहां एक भी कार्य स्वीकृत नहीं हुआ। कुंभलगढ़ में भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही। दोनों क्षेत्रों को विकास के मामले में शून्य वित्तीय स्वीकृति मिली।

नाथद्वारा की स्थिति: डॉ. सीपी जोशी के समय से अब तक का सफर


डॉ. सीपी जोशी के समय में नाथद्वारा राजस्थान सरकार का केंद्र माना जाता था। उनके कार्यकाल में नाथद्वारा में सड़क, जल आपूर्ति, स्कूल, और अन्य बुनियादी ढांचे के लिए बड़ी योजनाएं लागू की गईं। उनकी योजनाओं की कुशलता और प्रशासनिक पकड़ के कारण नाथद्वारा विकास का प्रतीक बन गया था।


लेकिन आज:

119 विकास कार्यों का प्रस्ताव होने के बावजूद, वर्तमान विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के कार्यकाल में एक भी कार्य स्वीकृत नहीं हुआ।


जनता में गहरी नाराजगी है और क्षेत्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं।


जनता की प्रतिक्रिया: डॉ. जोशी बनाम वर्तमान विधायक

नाथद्वारा के लोगों का कहना है:

"डॉ. सीपी जोशी के समय में विकास योजनाओं की झड़ी लग जाती थी। नाथद्वारा का नाम पूरे प्रदेश में लिया जाता था।"


"आज की स्थिति शर्मनाक है। विकास कार्यों में नाथद्वारा शून्य पर है। विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में विफल रहे हैं।"



राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि नेतृत्व की कमी के चलते नाथद्वारा ने अपनी चमक खो दी है।


कुंभलगढ़ की स्थिति: लगातार उपेक्षित

कुंभलगढ़ क्षेत्र ने भी नाथद्वारा जैसी ही स्थिति देखी। यहां 17 कार्य प्रस्तावित थे, लेकिन केवल तीन कार्यों के लिए 17 लाख रुपये की स्वीकृति मिल पाई। यह संख्या अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहद कम है।


कुंभलगढ़ के लोग कहते हैं:

"नाथद्वारा और कुंभलगढ़ में अब विकास कार्य नाम मात्र के रह गए हैं। सरकार और विधायकों को हमारी आवाज सुननी चाहिए।"


संपूर्ण राजसमंद जिले की तुलना

क्या हो सकता है समाधान?

नाथद्वारा और कुंभलगढ़ में विकास कार्यों को गति देने के लिए:

1. विधायकों को प्रशासनिक सक्रियता बढ़ानी होगी।

2. जनता को अपनी समस्याओं को लेकर मुखर होना होगा।

3. सरकार को इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना होगा।


नाथद्वारा और कुंभलगढ़ की स्थिति यह दिखाती है कि प्रभावी नेतृत्व और प्रशासनिक दक्षता की कितनी अहम भूमिका होती है। जहां भीम और राजसमंद विकास कार्यों में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं नाथद्वारा और कुंभलगढ़ जैसे क्षेत्र नेतृत्व की कमी के चलते पीछे रह गए हैं।


नाथद्वारा के लोग आज यह सवाल कर रहे हैं कि क्या डॉ. सीपी जोशी जैसे प्रभावशाली नेता के बिना उनका क्षेत्र हमेशा पीछे रहेगा, या वर्तमान नेतृत्व इस स्थिति को बदलने के लिए कदम उठाएगा?


नाथद्वारा: सीपी जोशी के समय से वर्तमान तक, विकास की बदलती कहानी


नाथद्वारा, जो कभी डॉ. सीपी जोशी के नेतृत्व में विकास का एक आदर्श मॉडल माना जाता था, आज नेतृत्व और योजनाओं की कमी के कारण पिछड़ गया है। डॉ. जोशी के कार्यकाल में नाथद्वारा राजस्थान के सबसे प्रगतिशील विधानसभा क्षेत्रों में गिना जाता था। उनके समय में सड़क निर्माण, शिक्षा संस्थानों की स्थापना, जल आपूर्ति योजनाओं और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी जैसे बड़े विकास कार्य हुए।


डॉ. जोशी का दृष्टिकोण:

डॉ. सीपी जोशी ने नाथद्वारा को केवल एक तीर्थ स्थल तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे एक ऐसा क्षेत्र बनाया जहां आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को प्राथमिकता दी गई।


उन्होंने हर क्षेत्र में समग्र विकास के लिए योजनाओं का खाका तैयार किया।


उनकी प्रशासनिक पकड़ और सरकार के साथ समन्वय का परिणाम यह था कि नाथद्वारा में लाखों रुपये के बजट वाली योजनाएं स्वीकृत होती थीं और समय पर पूरी भी होती थीं।


स्थानीय जनता और सरकार के बीच एक पुल की तरह काम करते हुए, उन्होंने नाथद्वारा को राज्य की राजनीतिक और आर्थिक धुरी बना दिया।



आज की स्थिति:

डॉ. जोशी के बाद नाथद्वारा का वह प्रभावशाली दौर धीरे-धीरे खत्म हो गया।


वर्तमान विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के कार्यकाल में 119 विकास कार्यों के प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन एक भी कार्य को स्वीकृति नहीं मिल पाई।


जनता का कहना है कि प्रशासन और सरकार से संवाद की कमी के कारण नाथद्वारा विकास की दौड़ में पिछड़ गया है।


नाथद्वारा के लोग अब अतीत के उन दिनों को याद करते हैं जब हर गली, हर गांव, हर मोहल्ला डॉ. जोशी के नेतृत्व का उदाहरण था। उनके कार्यकाल में न केवल योजनाएं बनीं, बल्कि उनके निष्पादन में पारदर्शिता और तीव्रता भी थी।


क्या जनता की उम्मीदें पूरी होंगी?

नाथद्वारा आज एक ऐसे नेतृत्व की मांग कर रहा है, जो डॉ. सीपी जोशी की तरह जनता की आवाज को सुने और उसे सरकार तक पहुंचाए। क्षेत्र के विकास के लिए वर्तमान नेतृत्व को न केवल सक्रिय होना होगा, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं को समझते हुए उन्हें तेजी से अमल में लाना होगा।

नाथद्वारा के लोग आज भी डॉ. सीपी जोशी के कार्यों को याद करते हुए कहते हैं,

"डॉ. जोशी के समय में नाथद्वारा केवल एक नाम नहीं था, बल्कि विकास की पहचान था।"

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वर्तमान नेतृत्व नाथद्वारा को फिर से उसी मुकाम पर ला पाएगा, या यह क्षेत्र विकास की दौड़ में और पीछे छूट जाएगा।


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