अमित शाह के विवादित बयान पर भड़का आक्रोश, पोकरण में विरोध प्रदर्शन, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
पोकरण। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद बहुजन समाज में आक्रोश फैल गया है। इसी कड़ी में पोकरण में एसडीएम कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह का पुतला जलाकर विरोध जताया और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह के बयान को दलित, वंचित और बहुजन समाज का अपमान बताते हुए उनकी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि दलित, पिछड़ों और वंचित समाज के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक हैं। उनके विचारों और संघर्षों ने करोड़ों लोगों को न्याय और अधिकार दिलाया है।
प्रदर्शन के दौरान सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई कि गृह मंत्री अमित शाह अपने बयान पर तुरंत माफी मांगें और सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि ऐसे बयानों से समाज में असमानता और असंतोष बढ़ता है, जो लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के लिए हानिकारक है।
आंदोलनकारियों का आक्रोश
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा, "अमित शाह का बयान न केवल अंबेडकरवादी विचारधारा का अपमान है, बल्कि इससे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। ऐसे बयानों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बहुजन समाज के लोग, सामाजिक संगठन, और युवा शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर इस बयान की निंदा की और सरकार से मांग की कि वह बाबा साहब के योगदान का सम्मान करे।
क्या था अमित शाह का बयान?
अमित शाह ने संसद में अपने बयान में कहा था कि "आजकल कुछ लोगों का अंबेडकर-अंबेडकर बोलना फैशन बन गया है।" इस बयान के बाद देशभर में बहुजन समाज में आक्रोश फैल गया है और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
पोकरण में हुए इस प्रदर्शन से यह साफ है कि बहुजन समाज अब अपने अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ने के लिए तैयार है। राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन के साथ प्रदर्शनकारियों ने यह संदेश दिया कि वे किसी भी स्तर पर बाबा साहब का अपमान सहन नहीं करेंगे।
"बहुजन समाज जाग चुका है और अपने आदर्शों के सम्मान के लिए हर संघर्ष को तैयार है।"
यह समाचार मेघवंशी लाइव की रिपोर्टिंग का हिस्सा है, जो समाज में चल रही घटनाओं और जनभावनाओं को निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करती है। यह लेख पोकरण में हुए विरोध प्रदर्शन और राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन पर आधारित है।
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