भाजपा सरकार का रोजगार वादा छलावा: संविदा भर्तियों और चतुर्थ श्रेणी नौकरियों से युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात

 भाजपा सरकार की भर्ती नीति: वादों के छलावे और युवाओं से विश्वासघात की पूरी कहानी


राजस्थान की भाजपा सरकार ने अपने बजट में 1 साल में 1 लाख सरकारी नौकरियों का वादा कर युवाओं के बीच बड़ी उम्मीदें जगाई थीं। लेकिन जब इस वादे को अमल में लाने का समय आया, तो नतीजा निराशाजनक निकला। सालभर बाद सरकार ने सिर्फ 72,155 पदों की भर्ती निकालकर यह साबित कर दिया कि उनका वादा महज़ एक छलावा था।


भर्ती का विश्लेषण: छल और भ्रम का खेल


सरकार द्वारा निकाली गई इस भर्ती में 52,453 पद चतुर्थ श्रेणी के लिए हैं, जबकि 13,482 पद संविदा कर्मियों के लिए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भाजपा सरकार युवाओं को स्थायी रोजगार देने के बजाय अस्थायी और निम्न स्तर की नौकरियों से संतोष करने पर मजबूर कर रही है।


भाजपा, जो विपक्ष में रहते हुए संविदा भर्तियों का खुलकर विरोध करती थी, अब सत्ता में आकर खुद संविदा भर्तियां निकाल रही है। युवाओं को स्थायित्व देने का वादा करने वाली भाजपा ने न केवल संविदा कर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया रोक दी, बल्कि नई भर्तियों में भी संविदा प्रणाली को बढ़ावा दिया है।


राजीव गांधी युवा मित्र योजना: भाजपा का पहला हमला

कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई राजीव गांधी युवा मित्र योजना को भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही बंद कर दिया। इस योजना के तहत हजारों शिक्षित युवाओं को रोजगार मिला था, जो अब बेरोजगार हो गए। यह कदम भाजपा सरकार की युवा विरोधी सोच को दर्शाता है और बताता है कि रोजगार देने के वादे केवल चुनावी नारे थे।


भाजपा बनाम कांग्रेस: संविदा भर्ती पर नजर


कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मियों के हितों की रक्षा के लिए 'राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स-2022' लागू किया था। इस नीति के तहत 1,10,000 संविदा कर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।


कांग्रेस ने कई विभागों में नए पदों का सृजन किया।


संविदा व्यवस्था समाप्त कर स्थायी रोजगार देने की दिशा में प्रयास किए। लेकिन भाजपा सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह रोक दिया। इसके बजाय, नई भर्तियों में संविदा प्रणाली को आगे बढ़ाया, जिससे युवाओं का भविष्य और असुरक्षित हो गया।


72,155 पद: दिखावे के आंकड़े


सरकार की ओर से निकाली गई 72,155 पदों की भर्ती में अधिकांश पद चतुर्थ श्रेणी और संविदा के लिए हैं। बाकी श्रेणियों के लिए केवल 6,220 पद बचते हैं।

लेक्चरर, टीचर, इंजीनियर, कंपाउंडर, इंस्पेक्टर और अन्य पेशेवर पदों की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं को सरकार ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

सरकार ने केवल निम्न स्तर की नौकरियां देकर प्रोफेशनल डिग्रीधारकों के साथ अन्याय किया है।


भाजपा का रोजगार वादा: भ्रम की राजनीति

भाजपा ने चुनावों से पहले युवाओं को 1 लाख सरकारी नौकरियों का सपना दिखाया था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में उनकी नीति ने असली चेहरा दिखा दिया।

अस्थायी संविदा भर्तियों से युवाओं को स्थायी रोजगार का अधिकार नहीं मिलता।

चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भारी जोर देकर सरकार ने उच्च शिक्षित और कुशल युवाओं के लिए अवसर सीमित कर दिए।

संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया रोकना सरकार की जिम्मेदारी से भागने का प्रतीक है।



राजस्थान के युवाओं के लिए क्या संदेश है?

राजस्थान में भाजपा सरकार की नीतियां यह दर्शाती हैं कि वह युवाओं के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है। संविदा आधारित रोजगार और स्थायी पदों की कमी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा का रोजगार वादा केवल चुनावी हथकंडा था।


कांग्रेस सरकार ने जहां युवाओं को स्थायित्व देने और संविदा कर्मियों को नियमित करने के प्रयास किए, वहीं भाजपा सरकार ने इन प्रयासों को नकारते हुए अस्थायी रोजगार का रास्ता अपनाया।


भविष्य के लिए युवाओं को क्या करना चाहिए?

- राजस्थान के युवाओं को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

-सरकार की नीतियों का विश्लेषण करें।

-अपने अधिकारों और रोजगार की गारंटी के लिए संगठित होकर आवाज उठाएं। स्थाई रोजगार और कुशल युवाओं के लिए अवसर बढ़ाने की मांग करें।


भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में युवाओं के साथ जो वादे किए, वे कागज़ पर लिखी इबारत से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। अस्थायी नौकरियों का बढ़ावा और स्थायी रोजगार के अवसरों की कमी ने यह साबित कर दिया कि भाजपा की रोजगार नीति केवल एक दिखावा है।


Rajasthan के युवाओं को अब खुद के भविष्य के लिए जागरूक होना होगा। सरकार की नीतियों का सही मूल्यांकन करें और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी आवाज़ को बुलंद करें।


डिस्क्लेमर:

यह समाचार विश्लेषण निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न सरकारी नीतियों, घोषणाओं और रिपोर्ट्स पर आधारित है। हमारा उद्देश्य केवल सटीक और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करना है। यदि इसमें किसी प्रकार की त्रुटि हो या कोई पाठक इससे असहमति रखता हो, तो कृपया हमें सूचित करें। हमारा उद्देश्य किसी राजनीतिक दल, संगठन, या व्यक्ति के प्रति पक्षपात करना नहीं है।
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