विशनाराम मेघवाल हत्याकांड: सियासी बयानबाजी तेज, आंदोलन की चेतावनी के बीच न्याय की मांग पर डटे परिजन
बालोतरा, 13 दिसंबर: विशनाराम मेघवाल हत्या प्रकरण चौथे दिन भी सुर्खियों में बना हुआ है। आरोपी की गिरफ्तारी और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठे परिजन और समाज के लोग अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इस मामले ने अब सियासी रंग ले लिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के प्रमुख और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मामले पर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
हनुमान बेनीवाल की चेतावनी: जयपुर में आंदोलन की तैयारी
हनुमान बेनीवाल ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मामले को हल्के में न ले। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आरोपी को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया और पीड़ित परिवार को सहायता नहीं मिली, तो रालोपा जयपुर में बड़ा आंदोलन करेगी। बेनीवाल ने संसद में इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन भी दिया।
कांग्रेस नेताओं का बयान: यह घटना मानवता पर कलंक
मेघवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूपाराम धनदे, पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी और पूर्व विधायक मदन प्रजापत ने इस घटना को मानवता पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि यह सरकार की नाकामी है कि दलित परिवारों के साथ ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अपराधियों पर कार्रवाई की बजाय सरकार "राजस्थान राइजिंग" जैसे कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
बालोतरा बंद और जनजीवन पर असर
गुरुवार को बालोतरा बंद का व्यापक असर देखने को मिला। बाजार, स्कूल, और अन्य व्यावसायिक संस्थान पूरी तरह बंद रहे। धरना स्थल पर समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एकत्र हुए और आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग की।
प्रशासन की अब तक की कार्रवाई
पुलिस ने आरोपी हर्षदान चारण की गिरफ्तारी के लिए 12 टीमों का गठन किया है। सोशल मीडिया पर आरोपी की तस्वीरें साझा की गई हैं, लेकिन अब तक पुलिस खाली हाथ है। जिला कलक्टर और एसपी ने परिजनों और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर हर संभव कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
क्या है मामला?
10 दिसंबर को बालोतरा शहर में मामूली कहासुनी के बाद हर्षदान चारण ने विशनाराम मेघवाल पर चाकू से हमला कर उनकी हत्या कर दी थी। घटना के बाद आरोपी फरार हो गया। चार दिन बाद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, जिससे क्षेत्र में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
सरकार से न्याय की उम्मीद
धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दे और उदयपुर प्रकरण की तरह तत्काल न्याय सुनिश्चित करे। जनता की नाराजगी और सियासी दबाव के बीच अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रशासन कब तक इस मामले का समाधान निकाल पाते हैं।
यह घटना राजस्थान में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
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