उदयपुर के राजवंश में राज्याभिषेक को लेकर विवाद: सिटी पैलेस के दरवाजे बंद, प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाई

 उदयपुर के पूर्व राजवंश परिवार में राज्याभिषेक को लेकर गहरा विवाद: सिटी पैलेस में दरवाजे बंद किए गए


उदयपुर के शाही परिवार में हाल ही में उत्पन्न हुआ विवाद राजवंश की पुरानी परंपराओं और वर्तमान कानूनी झगड़ों का मिश्रण है। महेन्द्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र विश्वराज सिंह के राज्याभिषेक को लेकर गहरी राजनीतिक और पारिवारिक खींचतान सामने आई है। एक ओर जहां विश्वराज के समर्थक इस परंपरा को बनाए रखने के पक्षधर हैं, वहीं परिवार के एक अन्य सदस्य, अरविंद सिंह मेवाड़, इसे रोकने के लिए कड़ी कार्रवाइयाँ कर रहे हैं।


परंपरा बनाम सत्ता

राज्याभिषेक की परंपरा को लेकर उत्पन्न हुआ यह विवाद सिर्फ एक धार्मिक क्रिया का मामला नहीं है, बल्कि यह मेवाड़ परिवार के भीतर आंतरिक शक्ति संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। महेन्द्र सिंह के निधन के बाद विश्वराज का राज्याभिषेक पहले चित्तौड़गढ़ किले में हुआ, लेकिन इसके बाद जब वह सिटी पैलेस पहुंचने का प्रयास कर रहे थे, तब अरविंद सिंह के परिवार ने सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए। इसे एक ओर नज़र से देखा जाए तो यह सिटी पैलेस और एकलिंगजी मंदिर के सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों को लेकर चुनौती भी हो सकती है, जो एक लंबे समय से मेवाड़ परिवार के नियंत्रण में रहे हैं।

संपत्ति विवाद और कानूनी जटिलताएं

इस विवाद का एक बड़ा कारण मेवाड़ परिवार की संपत्ति और पारिवारिक संबंधों में दरार है। 1984 में भगवत सिंह मेवाड़ ने महेन्द्र सिंह से रिश्ते तोड़ लिए थे, जिसके बाद अरविंद सिंह ने परिवार की संपत्तियों का नियंत्रण संभाल लिया। हालाँकि, महेन्द्र सिंह के निधन के बाद यह विवाद और गहरा गया, जब उनके परिवार ने राज्याभिषेक की परंपरा को जारी रखने का प्रयास किया। अरविंद सिंह का दावा है कि महेन्द्र सिंह को उनके पिता भगवत सिंह द्वारा बहिष्कृत किया गया था और वे उनके आदेशों का पालन करने वाले हैं, जिससे उन्होंने विश्वराज के राज्याभिषेक पर रोक लगाने की कोशिश की।


कानूनी विवाद और प्रशासन की भूमिका

यह विवाद न केवल पारिवारिक स्तर पर है, बल्कि कानूनी जटिलताएं भी इसमें शामिल हैं। सिटी पैलेस और अन्य संपत्तियों को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है, जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि महेन्द्र सिंह, अरविंद सिंह और उनकी बहन के बीच संपत्तियों का बंटवारा होगा। हालांकि, कोर्ट ने बाद में इस पर स्टे लगा दिया था, लेकिन इसने परिवार के भीतर अंतर्द्वंद्वों को और अधिक उभार दिया है। प्रशासन ने स्थिति को शांत करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।


कुल मिलाकर स्थिति क्या दर्शाती है?

यह विवाद केवल एक पारंपरिक राज्याभिषेक समारोह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक विस्तृत पारिवारिक संघर्ष का हिस्सा बन चुका है। यह समस्या मेवाड़ परिवार के भीतर सत्ता और पहचान की संघर्ष को उजागर करती है, जहां हर सदस्य अपनी अपनी जगह पर अपनी वैधता साबित करने की कोशिश कर रहा है। सिटी पैलेस और एकलिंगजी मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर अधिकार का दावा करने वाला यह विवाद अब एक राजनीतिक और कानूनी मोर्चा बन चुका है।


अंततः यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष आपसी सहमति तक पहुंच पाते हैं, या फिर यह विवाद एक लंबी कानूनी लड़ाई में बदल जाएगा, जो पूरे राजवंश की परंपराओं और संपत्ति को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाएगा।


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